हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। भगवान श्रीराधाकृष्ण की लीला भूमि वृंदावन में विराजमान श्रीबांकेबिहारी के नाम पर अनेक संपत्तियां मौजूद हैं। इसमें राजस्थान और गोवर्धन क्षेत्र के साथ अधिकांश संपत्तियां वृंदावन में हैं। इनमें से अनेक के स्वामित्व से मंदिर प्रबंधन भी अपरिचित है, जो भक्तों द्वारा ठाकुर जी को समर्पित की गई हैं। अब कॉरिडोर की प्रक्रिया में प्रशासनिक की नजर ऐसी संपत्तियों पर है, यह मंदिर के आसपास जनोपयोगी साबित हो सकती हैं। काशी विश्वनाथ के पैटर्न पर वृंदावन में तैयार होने वाले बिहारीजी कॉरिडोर के लिए ठाकुर के नाम पर मौजूद संपत्ति का बड़ा उपयोग होने जा रहा है। प्रशासनिक रिपोर्ट के मुताबिक बिहारी जी के खजाने में फिलहाल 294 करोड़ रुपये और आभूषण मौजूद हैं। अचल संपत्ति इससे कहीं ज्यादा है। कॉरिडोर के प्रयास में जुटे प्रशासन की नजर बिहारी जी की उन्हीं संपत्तियों पर है, जिसका उपयोग कॉरिडोर या फिर भक्तों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हो सकता है। इसके लिए प्रशासन उन संपत्तियों के रिकॉर्ड को खंगाल रहा है, जिसका रिकॉर्ड मंदिर प्रबंधन पर नहीं है। यह वे संपत्तियां बताई जा रही हैं जिन्हें भक्तों ने ठाकुर जी को समर्पित किया लेकिन इनका उपयोग निजी तौर किया जा रहा है। ऐसी कई कोठियां मंदिर के आसपास ही मौजूद हैं। वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी जी के नाम पर मुख्य मंदिर भवन, कच्ची रसोई, गेट नंबर तीन पर हॉल, किशोरपुरा में 450 वर्ग गज का प्लाट, स्नेहीबिहारी मंदिर निकट दो शिव मंदिर, सती माता समाधि, निधिवन, मोहन बाग, हुनमान जी का मंदिर सहित राधाकुंड स्थित कुंजबिहारी जी का रिकॉर्ड मंदिर प्रबंधन पर मौजूद है।
मुनीष शर्मा, प्रबंधक श्रीबांकेबिहारी मंदिर वृंदावन
हरिदासजी के समय में ही वृंदावन में बस चुके उनके परिजन पूर्वजों की जन्मस्थली संयुक्त भारत के पंजाब सूबे के मुल्तान जिला अंतर्गत उच्चग्राम (पाकिस्तान) से यहां आते रहते थे। वर्ष 1877 के आसपास गोस्वामी दुर्गाप्रसाद एवं अन्य दो सेवायतों ने वहीं के भक्तों के सहयोग से एक मंदिर मुल्तान में तथा दूसरा शक्खर (सिंध) में बनवाया। आज तक आठ गोस्वामी श्रीमुल्तान बिहारीजी महाराज की सेवा करते आ रहे हैं।
7455095736
Author: Vijay Singhal
50% LikesVS
50% Dislikes