हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। व्रन्दावन में ठा. बांकेबिहारी मंदिर में रात डेढ़ बजे मंदिर के पट खुले तब भी श्रद्धालुओं की संख्या कम नजर नहीं आई। सूर्यग्रहण के सूतककाल से पहले राजभोग सेवा के लिए मंदिर के पट खोले गए थे। रात डेढ़ बजे दर्शन खुलने के बाद 1.40 बजे श्रृंगार आरती हुई और फिर सुबह 3.40 बजे ठाकुरजी को राजभोग अर्पित किए। राजभोग उतरने के बाद 3.55 बजे ठाकुरजी की राजभोग आरती के बाद 4 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए गए। मंदिर के पट बंद होने के बाद दिनभर आसपास के इलाके में सन्नाटा पसरा रहा। राधावल्लभ मंदिर में सुबह 3 बजे दर्शन खुले और सुबह 6 बजे मंदिर के पट बंद हुए। इसी तरह रंगजी मंदिर में दोपहर 12 बजे मंदिर के पट बंद हो गए। दिनभर मंदिरों के बाहर सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि बाहर से आए श्रद्धालु मंदिरों के आसपास शाम को दर्शन खुलने का इंतजार करते रहे।
सूर्यग्रहण के कारण देशभर में दीपावली का पर्व एक दिन मनाया गया, तो मंदिरों में भी दर्शन समय में परिवर्तन देखने को मिला। सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले सुबह 4.30 पर सूतककाल शुरू हो गया। जिसके कारण मंदिरों में सूतककाल से पहले ठाकुरीजी की सेवा हुई। ऐसे में ठा. बांकेबिहारीजी ने रात डेढ़ बजे भक्तों को दर्शन देने शुरू कर दिए। सुबह श्रृंगार आरती, राजभोग अर्पित करने और राजभोग आरती के बाद सुबह 4 बजे मंदिर के पट बंद हो गए। तो शाम को ग्रहणकाल खत्म होने के बाद 7.15 बजे ही भक्तों को आराध्य के दर्शन सुलभ हो सके। ऐसे में कार्तिक अमावस के दिन भर मंदिरों के पट बंद रहे और मंदिरों के आसपास जिन इलाकों में भक्तों की भीड़ के कारण कदम रखने तक को जगह नहीं होती थी, वहां आज सन्नाटा पसरा रहा।
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Author: Vijay Singhal
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