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व्रन्दावन में ऐसा मंदिर जहां 500 वर्ष से है प्रज्जवलित है ‘आस्था की अग्नि’, नहीं जलती माचिस

ByVijay Singhal

Oct 29, 2022
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हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। व्रन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की अनंत कथाएं हैं। एक ऐसा मंदिर भी वृंदावन में है जहां पिछले पांच सौ साल से अग्नि प्रज्जवलित है। ये मंदिर है ठाकुर राधारमण लाल जू का। राधारामणलाल जू के प्राकट्यकर्ता एवं चैतन्य महाप्रभु के अनन्य शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी ने 475 साल पहले मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण की शक्ति से हवन की लकड़ियों को घिसा, तो अग्नि प्रज्जवलित हुई। उन्होंने ही हवनकुंड से निकली इस अग्नि को रसोई में प्रयोग करने की परंपरा शुरू की। जिसे आज तक उनके वंशज और सेवायत बदस्तूर निभा रहे हैं। ये अग्नि 477 साल बाद आज भी रसोई में प्रज्जवलित है। राधारमण लाल जू मंदिर की रसोई में किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश भी वर्जित है। केवल आचार्य गोपालभट्ट गोस्वामी के वंशज ही मंदिर की रसोई में प्रसाद अपने हाथ से तैयार करते हैं। जो सेवायत एकबार रसोई में प्रवेश करेगा, वह पूरी खान-पान की सामग्री तैयार करके ही बाहर आएगा। अगर, किसी कारणवश उसे रसोई से बाहर निकलना पड़े तो स्नान करने के बाद ही दोबारा उसे रसोई में प्रवेश मिलेगा।
आचार्य गोपाल भट्ट के वंशज वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वमी बताते हैं कि ठा. राधारमणलालजू का प्राकट्य पौने पांच सौ साल पहले शालिग्राम शिला से हुआ था। वे चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त आचार्य गोपाल भट्ट गोस्वामी की साधना व प्रेम के वशीभूत होकर वैशाख शुक्ल पूर्णिमा की प्रभात बेला में प्रकट हुए।
राधारमण लाल जू मंदिर की परंपरा बेहद अनूठी है। मान्यता के अनुसार यहां किसी भी कार्य में माचिस का प्रयोग नहीं किया जाता है। करीब पांच सौ साल से प्रज्ज्वलित अग्नि की मदद से ही रसोई समेत अनेक कार्यों का संपादन सेवायतों द्वारा किया जाता है।
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Vijay Singhal
Author: Vijay Singhal

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