हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। जिला जेल में भाई दूज पर्व पर जिला जेल में बंद भाइयों के तिलक करने पहुंची बहन सुबह से ही लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करती हुई नजर आईं। जेल प्रशासन द्वारा बहनों को ज्यादा इंतजार न कराते हुए ग्रुप में भाइयों से मुलाकात कराई। जेल में निरुद्ध बंदियों के भी ग्रुप बनाए गए। एक ग्रुप में करीब सौ बंदियों को रखा गया। भाई बहन के प्रेम और स्नेह का पर्व भाई दूज देश भर के साथ साथ मथुरा में भी मनाया गया। जिला जेल में भाइयों के तिलक करने के लिए बहनें अपनी बारी का इंतजार करती नजर आईं। जिला जेल में बंद बंदियों की बहनों ने जब उनको तिलक किया तो आंख भर आई। भाई बहन के पर्व भाई दूज के लिए जेल में निरुद्ध बंदियों की बहनों से मुलाकात कराने के लिए जेल प्रशासन द्वारा बेहतर व्यवस्था की गई। बहन अपने भाइयों के तिलक कुर्सी पर बैठ कर कर रहीं थीं तो वहीं खुले में टैंट भी लगाया गया। इसके अलावा पीने के पानी का भी इंतजाम किया गया। भाई दूज के दिन जिला जेल में भावुक होने वाला नजारा देखा गया। यहां जब बहन अपने भाइयों के तिलक कर रही थीं उस समय उनकी आंखें नम थी। अलीगढ़ से आई बुजुर्ग महिला ने जब एक मामले में बंद अपने भाई को तिलक किया तो वह अपने आंसू नहीं रोक पाई। बहन को रोता देख भाई ने अपने गमछे से बहन के आंसू पोंछे और सब कुछ अच्छा होने की बात कही। धर्म की दीवार भी जिला जेल में टूटती नजर आई। यहां बड़ी संख्या में निरुद्ध हिंदू बंदियों को तो बहनों ने तिलक कर उनको मिठाई खिलाकर लंबी उम्र की कामना की तो मुस्लिम बहनें भी भाई दूज का पर्व मनाते हुए जिला जेल में नजर आईं। मुस्लिम बहनों ने भाइयों को मिठाई खिलाकर भाई दूज का पर्व मनाया। मथुरा जिला जेल में वर्तमान में 1820 बंदी निरुद्ध हैं। इनमें से 76 महिला हैं जबकि बाकी पुरुष। जिला जेल में करीब 33 बंदी विदेशी भी हैं। इसके अलावा 7 बच्चे हैं जो अपनी मां के साथ जेल में हैं। जेल प्रशासन के अनुसार भाई दूज पर्व पर करीब 5000 बहन जिला जेल पहुंची। जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि जेल प्रशासन का प्रयास है कि जेल में निरुद्ध बंदी हर त्यौहार मना सकें। उन्होंने बताया कि यह संदेश देने का प्रयास है कि कारागार की जो छवि है। नकारात्मकता की जो छवि है उसको मिटाया जा सके। स्वतंत्र भारत का जो कारागार है वह सुधारात्मक ग्रह में स्थापित हो ऐसा प्रयास है। उन्होंने बताया कि समाज पाप से घृणा करे पापी से नहीं।
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Author: Vijay Singhal
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