हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। छोटी सी उम्र से ही बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल पर बिता रहे हैं। इससे बच्चों में न बोलने की और (डिले स्पीच) यानी देर से बोलने की समस्या हो रही है। जिला अस्पताल में स्पीच थेरेपी के लिए हर माह करीब 30 बच्चे आ रहे हैं। स्पीच थेरेपिस्ट अशोक कुमार योगी के अनुसार इसमें जन्म के बाद दो साल से अधिक समय के बाद बोलना (देर से बोलना), तुतलाना और हकलाने जैसी समस्याएं आ रही हैं। ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ. अमिताभ पांडे ने बताया कि अस्पताल में अधिकतर अभिभावक दो से पांच साल के बच्चों के बोल न पाने, शब्दों का सही उच्चारण न करना और हकलाने की शिकायत लेकर आते हैं। इनमें अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने जन्म के बाद मम्मी और पापा तक नहीं बोला है। इसमें से अधिकतर बच्चे मोबाइल की लत के कारण खुद में व्यस्त रहने की वजह से नहीं बोल पा रहे हैं। यह समस्या कोरोना काल के बाद से अधिकतर बच्चों में देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चे 5 से 6 घंटे मोबाइल व टीवी देखने में व्यस्त रहते हैं। इस समय काम करने वाले अधिकतर माता-पिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल दे देते हैं। इससे बच्चे मोबाइल और टीवी में कार्टून देखते रहते हैं और किसी से बात नहीं करते हैं। इससे बच्चों का स्क्रीन समय बढ़ जाता है। बच्चों में न बोल पाने का मुख्य कारण मोबाइल है, क्योंकि मोबाइल देखते से बच्चे किसी की बात पर ध्यान नहीं देते, बात कम करते हैं और गुस्सा होना जैसी लक्षण से ग्रस्त हो जाते हैं। इस दौरान बच्चे में डिले स्पीच की समस्या होती है। माता-पिता दो से पांच साल के बच्चों को समय दें, बातचीत करने के लिए बच्चों को उत्साहित करें, बच्चों की सारी बातें को ध्यान से सुनें, उन्हें व्यस्त करने के लिए मोबाइल फोन न दें, टीवी न दिखाएं। वहीं अगर किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो जाए तो ईएनटी विभाग के डॉक्टर से परामर्श लें।
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Author: Vijay Singhal
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