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मजबूत प्रवर्तन के लिए वन, पुलिस और न्यायपालिका हुई एकजुट

ByVijay Singhal

Jun 8, 2025
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हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। न्यायपालिका, वन विभाग, पुलिस और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों के लगभग 100 अधिकारी वन्यजीव अपराध, जांच और अभियोजन कार्यशाला में शामिल होने के लिए मथुरा में एकत्रित हुए। यह आयोजन वाइल्डलाइफ एसओएस ने वन विभाग के साथ साझेदारी में किया। कार्यक्रम की शुरुआत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीडी सिंह और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, विनोद सिंह रावत, प्रमुख सचिव (लॉ) एवं विधि, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा औपचारिक स्वागत और उद्घाटन के साथ हुई। संबोधन में गणमान्य व्यक्तियों ने कानूनी स्पष्टता, कुशल केसवर्क और अंतर-एजेंसी समन्वय की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। विषयों में साक्ष्य प्रक्रियाओं और परीक्षण में देरी से लेकर वन्यजीव अपराध स्थलों में आधुनिक फोरेंसिक की भूमिका तक शामिल थी।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने वाइल्डलाइफ एसओएस के फील्ड ऑपरेशन से प्रमुख केस स्टडीज प्रस्तुत कीं, जिसमें उन्होंने तस्करी के पैटर्न, प्रवर्तन में कमियों और वन्यजीव आपात स्थितियों के लिए त्वरित कानूनी प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डाला। सत्रों में आईएफएस संग्राम सिंह कटियार, सरिस्का टाइगर रिजर्व के निदेशक, डॉ. सीपी शर्मा, भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रधान तकनीकी अधिकारी, सर्वेश कुमार, अध्यक्ष, रिटायर्ड जिला न्यायाधीश, आगर के साथ वरिष्ठ सरकारी अभियोजकों और कानूनी सलाहकार शामिल रहे। न्यायाधीश सीडी सिंह ने कहा कि यह कार्यशाला कानूनी सिद्धांत को क्षेत्र-स्तरीय अनुप्रयोग के साथ जोड़ती है। सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वन्यजीव अपराधों के पीछे क्रूरता और व्यावसायीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करना एक अधिक मानवीय समाज के निर्माण की कुंजी है। सरिस्का टाइगर रिजर्व के निदेशक संग्राम सिंह कटियार ने भी विचार रखे।
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Vijay Singhal
Author: Vijay Singhal

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