हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। जिलाकारागार में ज्यादा ठंड होने के कारण छह कम्बल ऊपर छह कम्बल नीचे बिछाकर सोते है। यह जेल की सर्दी है जनाब, छह कंबल जमीन की ठंड से बचने कोे, छह कंबल ऊपर की ठंड से बचने को फिर अन्य कपडे़। सोने से पहले अलाव, सुबह उठते ही अलाव। तब हो पा रहा बंदियों का ठंड से बचाव। जी हां जेल में करीब डेढ़ हजार बंदियों को बचाने के लिए जेल प्रशासन जी तोड़ कोशिश कर रहा है। बंदियों पर कम पड़ रहे कंबलों की आवश्यकता के लिए ऐसे लोगों से अपील भी कर रहा है जो जेल में बंदियों के लिए गर्म वस्त्र दे सकें। जैसे-जैसे तापमान गिर रहा है जेल में बंदियों का बचाव करना चुनौती बन रहा है। जेल प्रशासन की ओर से मिलने वाले कंबलों की संख्या कम होने पर जेल प्रशासन अन्य संसाधनों से बंदियों के लिए कंबल जुटा रहा है। प्रत्येक बैरक के गेट पर लगे लोहे के खंभे पर कपड़ा इस प्रकार से लगाया जाता है जिससे बैरक में हवा प्रवेश नहीं कर सके। प्रत्येक बंदी पर लगभग १०-१२ कंबल तथा अन्य कपड़े होते हैं, जिनमें से वह आधा नीचे बिछाता है और बाकी ओढ़ता है। प्रत्येक बैरक में ठंड से बचाने के लिए प्रतिदिन लगभग ३० किलो लकड़ी का अलाव जलाया जाता है। इस प्रकार से सभी २० बैरक मेें सुबह-शाम अलाव जलाए जाते हैं। दो समय चाय तथा भोजन में भी मौसम की गर्म वस्तुओं का प्रयोग किया जा रहा है। बंदियों को ठंड से बचाने के लिए हम पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं। बंदी करीब छह कंबल जमीन में तथा उतने ही ऊपर बिछा कर सोते हैं। अभी भी बंदियों के लिए कंबलों की आवश्यकता है।
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Author: Vijay Singhal
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