हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। जिला महिला अस्पताल में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रसूताओं को पौष्टिक भोजन देने का आदेश केवल छलावा साबित हो रहा है। उन्हें निर्धारित मेन्यू के अनुसार नाश्ता और भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से बिल भुगतान करवा लिया जा रहा है। प्रसूताओं को मिलने वाले भोजन व नाश्ते की शुक्रवार को की टीम ने अस्पताल पहुंच मरीजों व तीमारदारों से बात की तो दावों की पोल खुली। जननी शिशु सुरक्षा योजना मीडिया के तहत गर्भवती महिला प्रसव से पूर्व या प्रसव के बाद अस्पताल में भर्ती होती है तो उसे पोषणयुक्त दोपहर व रात्रि भोजन और सुबह का नाश्ता निशुल्क देने का प्रावधान है। सामान्य प्रसव में दो दिन व सिजेरियन प्रसव के मामले में पांच दिन तक यह सुविधा प्रदान की जाती है। इसके लिए प्रति मरीज 90 रुपये की दर से अनुबंध किया गया है।
अनुबंध की शर्तों के अनुसार ठेकेदार को इस 90 रुपये में सुबह 7 बजे से 8:30 बजे तक एक ग्लास दूध के साथ दो अंडे, दलिया, पोहा, ब्रेड के चार स्लाइस और 10 ग्राम मक्खन दिया जाना है। भोजन में दोपहर एक से दो बजे तक चार रोटी, दाल, मौसमी सब्जी, चावल व सलाद, दही और रात के भोजन में शाम सात बजे से 8:30 बजे तक चार रोटी, मौसमी सब्जी, चावल व मौसमी फल (सेब, संतरा, केला आदि) एक ग्लास दूध देना होता है, लेकिन इस मेन्यू का जिला महिला अस्पताल के साथ ही अधिकांश सामुदायिक केंद्रों पर मखौल उड़ाया जा रहा है। सुबह नाश्ते में दो सौ मिली लीटर दूध के स्थान पर सिर्फ दलिया ही दिया जा रहा है। दोपहर के भोजन में सलाद और दही लगभग कहीं नहीं दिया जा रहा है। वहीं, रात में सब्जी, रोटी, चावल ही मिल रहा हैै। यह व्यवस्था एक दिन की नहीं है, इसके बावजूद भी अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी कभी इस व्यवस्था की हकीकत नहीं देखते हैं और बिल भुगतान के लिए अग्रसारित कर देते हैं। एक बाथरूम में ताला तो दूसरे में लाइट नहीं महिला अस्पताल में प्रसूताओं व उनके तीमारदारों के लिए जो बाथरूम बने हैं वे उनके लिए सुविधा नहीं बल्कि मुसीबत का कारण बने हैं। एक बाथरूम में ताला लगा है तो दूसरे बाथरूम में लाइट की व्यवस्था नहीं है। वहीं, टंकी का पाइप फटा होने के कारण पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है।
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Author: Vijay Singhal
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