माता सीता और द्रोपदी की सुंदरता को लेकर दिया था भागवत प्रवक्ता ने बयान
मथुरा। व्रन्दावन में प्रख्यात धर्माचार्य भागवत प्रवक्ता अनिरुधाचार्य के द्वारा प्रवचन के दौरान माता सीता और द्रोपदी की सुंदरता को लेकर बयान दिया गया था। इस बयान को लेकर कुमार विश्वास ने ट्वीट किया तो लोग तरह तरह के कमेंट करने लगे। कुमार विश्वास के द्वारा किए गए ट्वीट पर अनिरुधाचार्य ने जवाब देते हुए कहा कि कुमार विश्वास साहित्य के जानकार हैं संस्कृत के नहीं। वृंदावन के प्रख्यात भागवत प्रवक्ता अनिरुधाचार्य का बयान इन दिनों सुर्खियों में हैं। अनिरुधाचार्य ने भागवत कथा में प्रवचन के दौरान माता सीता और द्रोपदी की सुंदरता को लेकर बयान दिया था। अनिरुधाचार्य ने कहा था कि स्त्री का ज्यादा सुंदर होना गुण नहीं हैं स्त्री का जरूरत से ज्यादा सुंदर होना दोष है। उन्होंने कहा माता सीता का हरण क्यों हुआ क्योंकि वह जरूरत से ज्यादा सुंदर थीं। द्रोपदी की भरी सभा में साड़ी क्यों खींची गई क्योंकि द्रोपदी भी जरूरत से ज्यादा सुंदर थीं। भागवत प्रवक्ता अनिरुधाचार्य का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। 25 सेकंड के इस बयान को लेकर धर्म क्षेत्र में बहस छिड़ गई। लेकिन इस बयान ने तूल तब पकड़ा जब इसको लेकर कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट किया। कवि कुमार विश्वास ने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा कि यानी माता सीता के हरण,दुशासन द्वारा यज्ञसेनी के चीर हरण के लिए वे पापी नहीं हमारी माताएं दोषी हैं। कैसी प्रचंड मूर्खता है, पर समस्या यह है कि हमारे तथाकथित धर्म संस्कृति रक्षक भी इस पर कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि उनकी भावनाएं भी बस अपने विपक्षी राजनीतिक खेमों पर ही आहत होती हैं। कवि कुमार विश्वास द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई। ट्वीटर पर कुछ इस बयान के पक्ष में तो कुछ विरोध में कमेंट करने लगे। कुछ यूजर इस बयान को अधूरा बताने लगे तो कुछ ने कहा कि नारी का सम्मान यह लोग नहीं जानते। कुमार विश्वास द्वारा किए गए ट्वीट को लेकर बयान देने वाले अनिरुधाचार्य ने बताया कि कुमार विश्वास साहित्य के जानकार हैं न की संस्कृत के,उनको संस्कृत के श्लोकों का ज्ञान होना चाहिए। अनिरुधाचार्य ने बताया कि उन्होंने श्लोक का अर्थ किया उन्होंने जरा सी वीडियो डाल दी। यह अच्छी बात है वह विद्वान हैं उन्होंने उस चीज को पकड़ा क्योंकि लोग सुनते हैं निकल जाते हैं उनको श्लोक का अर्थ बताते हैं शास्त्र कहते हैं कि अति सर्वस्त्र वर्जते अति कहीं नहीं होना चाहिए।