हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। वृंदावन में अब ब्रज की बेटियां भी भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम और आनंद की लीलाओं को मंचित करते हुए नजर आएंगी। यह बदलती विचारधारा के सुखद संकेत हैं। मथुरा-वृंदावन की तमाम मंडलियों में अभी तक पुरुष ही लीलाओं का मंचन करते थे। युवा कलाकारों को अभिनय के लिए प्रशिक्षित करने के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने पहल की है। इसमें उन्हें अभिनय से लेकर वादन, नृत्य, कथक में पारंगत किया जा रहा है। तीन माह के निश्शुल्क प्रशिक्षण में अब तक एक हजार से अधिक कलाकार प्रशिक्षण ले चुके हैं। इनमें से अधिकांश बेटियां हैं। मथुरा में छोटी-बड़ी करीब 100 रासलीला मंडलियां हैं। इनसे करीब तीन हजार लोग जुड़े हैं। मंडलियों में अभी तक पुरुषों का ही वर्चस्व है। महिलाओं का चरित्र भी पुरुष ही निभाते हैं। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संचालित अकादमी में वृंदावन के गीता शोध संस्थान में ब्रज की पहचान रासलीला के लिए नए कलाकारों की पौध तैयार की जा रही है। मथुरा-वृंदावन के बच्चों को रासलीला का अभिनय और उसकी बारीकी का प्रशिक्षण खुद अकादमी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश खन्ना देते हैं। तीन माह से दो वर्ष का कोर्स कराया जा रहा है। 90 दिन में 30 से 50 बच्चे एक बैच में प्रशिक्षण ले रहे हैं। बच्चों की उपस्थिति के अनुसार दो से तीन बैच चल रहे हैं। इसमें बच्चों को राधा-कृष्ण, गोप-गोपियों की लीलाओं का ज्ञान कराने के साथ ही उनको अभिनय का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रासलीला में कोई पारंपरिक नृत्य न होने के कारण इसमें कथक नृत्य का समावेश किया गया। बच्चों के अभिनय में निखार लाने और नृत्य को लीला से जोड़ने के लिए कथक नृत्य, गायन, वादन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रोफेसर दिनेश खन्ना कहते हैं कि प्रशिक्षण में बेटों की अपेक्षा बेटियां अधिक आ रही हैं। इन्हें प्रशिक्षित कर मंचन पांचजन्य प्रेक्षागृह में किया जाता है। वृंदावन के रासाचार्य स्वामी अवधेश शर्मा का कहना है कि पुराने रासाचार्यों ने लीला मंचन में कभी बेटियों को नहीं रखा।15 वर्ष की उम्र के बाद तीन दिन का बालिकाओं का अवकाश होता है। इसी धारणा के तहत बुजुर्ग लोगों ने नीति बनाई है। वर्तमान समय में भाव समाप्त हो गया है। नाट्य प्रधान हो गया है। मंडली संचालक दानी मुखिया का कहना है कि अभी तक पुरुष ही रासलीला में अधिक भाग लेते हैं, लेकिन अब बेटियां भी शामिल होने लगी हैं। यह भविष्य के लिए अच्छी बात है।
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Author: Vijay Singhal
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