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शरद पूर्णिमा पर्व परक्यों खाते हैं चांद की रोशनी में रखी खीर,क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

ByVijay Singhal

Oct 9, 2022
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हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है।इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं। हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व ज्यादा खास बताया गया है। पं. अजय कुमार तैलंग ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है।शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है।
चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर रविवार को है। अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 9 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करने के लिए वरदान देती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों में रखी खीर का सेवन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। इस खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है। ये खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत लाभ पहुंचाती है। इसके अलावा भी इसे कई मायनों में खास माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अजय तैलंग ने बताया कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर रात के समय मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं। उन्हें गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। इसके बाद सफेद मिठाई और सुगंध भी अर्पित करें। “ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः” का जाप करें. मां लक्ष्मी जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। बस उनसे सच्चे मन से अपनी बात पहुंचानी होगी और जब धरती पर साक्षात आएं तो इससे पावन घड़ी और क्या हो सकती है।
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Vijay Singhal
Author: Vijay Singhal

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