हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज़ विजय सिंघल
मथुरा। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस पर खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। इसी दिन दीपावली दीपावली मनाई जाती है। लेकिन, इस बार सूर्यग्रहण होने के कारण महालक्ष्मी पूजन व दीपावली का पर्व एक दिन पहले नरक चतुर्दशी को मनाया जाएगा। इसे लेकर लोगों में भले ही भ्रम की स्थिति बनी हो। ज्योतिष गणना के अनुसार, नरक चतुर्दशी को ही महालक्ष्मी पूजन का मुहूर्त है। 24 अक्टूबर सोमवार को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर शाम 5.27 बजे अमावस की शुरुआत होगी। इसलिए एक दिन पहले ही महालक्ष्मी पूजन का विधान बन रहा है। पंडित छैलबिहारी मिश्र के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण शाम 5.10 से शुरू होकर 6.19 तक रहेगा। लेकिन, जब सूर्यग्रहण अस्त होगा, सूर्य भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए मान्यता है कि सूर्यग्रहण के सूतक सुबह सूर्याेदय के बाद ही खत्म होंगे। इसलिए भले ही 25 अक्टूबर की शाम 6.19 बजे सूर्य ग्रहण खत्म हो जाएगा। रात में देवकार्य नहीं हो सकेंगे। ठाकुरजी की पूजा-सेवा और मंगला को दूसरे दिन सूर्योदय पर ही ग्रहण की शुद्धि होकर और फिर गोवर्धन पूजा और ठाकुरजी का अन्नकूट हो सकेगा। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस 24 अक्टूबर की शाम 5.27 बजे शुरू हो रही है। इसलिए दीपावली की महालक्ष्मी पूजा 24 अक्टूबर सोमवार को शाम को ही होगी। इसी दिन महालक्ष्मी के पूजन का विधान बन रहा है। शुकाचार्य पीठाधीश स्वामी डा. रमेशचंद्राचार्य विधिशास्त्री ने बताया, कार्तिक कृष्ण अमावस की तिथि 24 अक्टूबर की शाम 5.27 बजे शुरू हो जाएगी। इसलिए 24 अक्टूबर को ही महालक्ष्मी पूजन का विधान बन रहा है। डा. विधि शास्त्री ने लग्नानुसार महालक्ष्मी पूजन की समय सारणी बताते हुए कहा हर्ष व चित्रा नक्षत्र का संयोग व वैधृति योग सुखदायी है। हर्ष नक्षत्र 2.21 बजे के बाद चित्रा नक्षत्र की शुरुआत होगी।
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Author: Vijay Singhal
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