दुल्हन की तरह सजी प्रिया घूंघट निकालकर कान्हा के सामने आईं। पति रूप में विराजमान भगवान को देखा तो भाव विह्लल होकर नाचने लगीं। पहली सालगिरह को भव्य तरीके से मनाने में प्रिया ने किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी। स्टेज पर पहुंचने के बाद प्रिया ने पहले ठाकुरजी के गले में वरमाला डाली। इसके बाद ठाकुरजी के हाथ लगवाकर खुद वरमाला पहनी। भगवान संग अटूट भक्ति को देख वहां मौजूद हर कोई राधे-राधे कहता रहा। प्रिया ने कहा कि हर पति शादी की वर्षगांठ पर पत्नी को गिफ्ट देता है। मेरे पीहू ने भी मुझे बहुत सुंदर रिंग गिफ्ट में दी है। उन्होंने बताया कि जो मेरे विवाह को मान नहीं रहे थे, आज वह भी इस समारोह में शामिल हुए। पिता, भाई, बहन और रिश्तेदारों संग 350 से अधिक लोग मेरी शादी की सालगिरह के साक्षी बने हैं। इससे मुझे बेहद खुशी है। मूलत: पलवल निवासी प्रिया के पिता राजपाल लंबरदार ने बताया कि प्रिया का जन्म फरीदाबाद में हुआ। बचपन में उसे सीता कहते थे। वह 6 साल की उम्र से ही ताई के साथ छिपकर वृंदावन आती थीं। बाद में उसने किराए पर मकान ले लिया और मां को भी साथ ले आई। 24 दिनों तक मां को अपने पास रखा। उसे वृंदावन से वापस घर ले जाने के लिए काफी जतन किए, लेकिन वह नहीं गई। आखिरकार हम हार गए और बेटी प्रिया जीत गई। पिछले साल वह भगवान कृष्ण की हो गई।
पढ़ने में अव्वल रहीं, दो नौकरियां छोड़ीं
प्रिया ने बताया कि उसने एमबीए और पीएचडी की है। वह वॉलीबॉल की खिलाड़ी रहीं हैं। पढ़ने में हमेशा अव्वल रहीं। यूनिवर्सिटी टॉप किया था। स्पोर्ट्स कोटे से चंडीगढ़ में फोरेंसिक विभाग में एसआई के पद पर चयन हुआ। वहां कुछ दिन नौकरी की, लेकिन फिर मन लड्डू गोपालजी में लगने लगा और नौकरी छोड़ दी। इसके बाद इंडिगो एयर में एयर होस्टेस बनीं। कुछ समय बाद फिर नौकरी छोड़ दी और वृंदावन चली आईं। यहां पिछले साल ठाकुरजी से शादी कर ली। वह अपने पति स्वरूप लड्डू गोपाल को प्रियकांत या पीहू कहकर पुकारती है। उनके लिए करवाचौथ का व्रत भी रखा था।
