हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिघल
मथुरा। भारतीय जनता पार्टी ने निकाय चुनाव को लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल मानते हुए ठोस रणनीति बनाकर कार्य शुरू कर दिया है। चुनाव भले ही नगर निकाय का हो पर पार्टी ने बूथ स्तर तक संगठन को दुरुस्त कर दिया है। बूथ सशिक्तकरण सम्मेलनों के माध्यम से एक-एक बूथ पर वोटर लिस्ट के एक-एक पन्ना प्रमुख की गहरी समीक्षा की है। मोहल्ले का एक-एक वोट भाजपा की निगाह पर है। इसके साथ ही प्रत्याशी चयन में पार्टी ने इस बार कमान कस रखी है। भले ही भाजपा में मेयर के दर्जन भर से अधिक दावेदार हों पर पार्टी उसी पर दांव खेलेगी, जिससे जनता प्रसन्न रहे और कार्यकर्ता भी खुश हों।
भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए बूथ सशक्तिकरण सम्मेलनों के माध्यम से चुनावी रणनीति को दुरुस्त कर दिया है। कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाकर दस्तक दे आए हैं। वहीं पार्टी में बड़े स्तर पर पार्षद और मेयर पद के दावेदारों की फौज भी अपने-अपने स्तर से प्रचार में जुटी है। पार्टी ने निकाय चुनाव की रणनीति तो पिछले सितंबर और अक्तूबर में ही बना ली थी पर चुनाव टल जाने से इसे स्थगित रखने के बजाए और अधिक दुरुस्त कर दिया। बूथ, सेक्टर, मंडल और वार्ड स्तर पर भाजपा ने संगठन मजूबत करने के साथ हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं को पदों पर आसीन कर उन्हें संतुष्ट करने का काम किया है। नगर निगम की सीट सामान्य होने के बाद भाजपा इस सीट पर वैश्य समाज पर अपना दांव खेल सकती है। जिले में ब्राह्मण, जाट, सहित अन्य जातियों का समन्वय तो पार्टी में विधायक पद पर है, लेकिन वैश्य बहुल मथुरा विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ग की अब तक अनदेखी की गई है। प्रदेश नेतृत्व प्रत्याशी चयन पर निर्णय लेगा। निकाय चुनाव में इस बार पार्टी प्रत्याशियों के चयन में प्रदेश स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर पार्टी की कोर कमेटी को केवल नामों के पैनल की संस्तुति करने का अधिकार होगा। पार्टी ने भी हर वार्ड और मेयर पद पर प्रत्याशी को लेकर अपने स्तर से फीड बैक लिया है। संगठन और बाहरी एजेंसियों से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट मानें तो पार्टी इस बार माफिया, ठेकेदार, अवैध गतिविधियों में लिप्त, पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा के बजाए धनबल के सहारे सीट पाने की कोशिश में जुटे लोगों को दरकिनार करेगी।
भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए बूथ सशक्तिकरण सम्मेलनों के माध्यम से चुनावी रणनीति को दुरुस्त कर दिया है। कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाकर दस्तक दे आए हैं। वहीं पार्टी में बड़े स्तर पर पार्षद और मेयर पद के दावेदारों की फौज भी अपने-अपने स्तर से प्रचार में जुटी है। पार्टी ने निकाय चुनाव की रणनीति तो पिछले सितंबर और अक्तूबर में ही बना ली थी पर चुनाव टल जाने से इसे स्थगित रखने के बजाए और अधिक दुरुस्त कर दिया। बूथ, सेक्टर, मंडल और वार्ड स्तर पर भाजपा ने संगठन मजूबत करने के साथ हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं को पदों पर आसीन कर उन्हें संतुष्ट करने का काम किया है। नगर निगम की सीट सामान्य होने के बाद भाजपा इस सीट पर वैश्य समाज पर अपना दांव खेल सकती है। जिले में ब्राह्मण, जाट, सहित अन्य जातियों का समन्वय तो पार्टी में विधायक पद पर है, लेकिन वैश्य बहुल मथुरा विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ग की अब तक अनदेखी की गई है। प्रदेश नेतृत्व प्रत्याशी चयन पर निर्णय लेगा। निकाय चुनाव में इस बार पार्टी प्रत्याशियों के चयन में प्रदेश स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर पार्टी की कोर कमेटी को केवल नामों के पैनल की संस्तुति करने का अधिकार होगा। पार्टी ने भी हर वार्ड और मेयर पद पर प्रत्याशी को लेकर अपने स्तर से फीड बैक लिया है। संगठन और बाहरी एजेंसियों से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट मानें तो पार्टी इस बार माफिया, ठेकेदार, अवैध गतिविधियों में लिप्त, पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा के बजाए धनबल के सहारे सीट पाने की कोशिश में जुटे लोगों को दरकिनार करेगी।
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Author: Vijay Singhal
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