लंबे समय से विवि और जिला प्रशासन के बीच आवास आवंटन को लेकर चल रहा है विवाद
शासन के आदेश के बावजूद प्रशासन खाली करने को तैयार नहीं विवि कैंपस के आवास
हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। यूपी वेटरनेरी यूनिवर्सिटी कैंपस में रह रहे सीडीओ, नगर आयुक्त और सीएमओ को आवास खाली करने पड़ सकते हैं। विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन के बीच आवास आवंटन का यह विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने दोनों ही पक्षों से जवाब मांगा है।
सन् 1947 में राजकीय वेटरनेरी कॉलेज मथुरा की स्थापना की गई थी। 1965 में पूल हाउस स्कीम के तहत तत्कालीन कॉलेज कैंपस में जिला प्रशासन ने विभिन्न श्रेणी के आवासों का निर्माण कराया। इसमें ए श्रेणी के आठ, बी श्रेेणी के आठ, सी श्रेणी के 30 और डी श्रेणी के 44 मकान शामिल थे। तय अनुबंध के तहत इसमें 60 प्रतिशत आवासों का आवंटन कॉलेज के स्तर से होना था, बाकी 40 प्रतिशत आवास जिला प्रशासन के अधीन थे। भविष्य में आवंटन की यह प्रक्रिया उलट गई और अधिकांश आवासों का आवंटन जिला प्रशासन के माध्यम से होने लगा। वर्ष 2001 में वेटरनेरी कॉलेज के विश्वविद्यालय में परिवर्तित होने के बाद विवि प्रशासन ने इस पर आपत्ति जाहिर की। इसी दौरान विवि कैंपस में रात्रि विश्राम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विवि कैंपस में जिला प्रशासनिक अफसरों के आवासों को देख हैरानी जताई थी। राज्यपाल की पहल पर शासन ने विवि कैंपस में आवासों का आवंटन जिला प्रशासन से बंद करा दिया। अब यहां सीडीओ, नगर आयुक्त, सीएमओ सहित उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष के आवास हैं। इन अधिकारियों के जाने के बाद नए आने वालों को इनका आवंटन कर दिया जाता है। इनके अलावा डी श्रेणी के 15 से अधिक आवास भी अभी जिला प्रशासन के पास हैं। विवि कैंपस के आवासों का यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। आवासों में रह रहे कर्मचारियों की याचिका पर इस मामले में हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब मांगा है। हालांकि कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव ने बताया कि मामला कोर्ट में है। कैंपस के सभी आवासों पर विवि का अधिकार होना चाहिए। फिलहाल किसी नोटिस की जानकारी नहीं है।
सन् 1947 में राजकीय वेटरनेरी कॉलेज मथुरा की स्थापना की गई थी। 1965 में पूल हाउस स्कीम के तहत तत्कालीन कॉलेज कैंपस में जिला प्रशासन ने विभिन्न श्रेणी के आवासों का निर्माण कराया। इसमें ए श्रेणी के आठ, बी श्रेेणी के आठ, सी श्रेणी के 30 और डी श्रेणी के 44 मकान शामिल थे। तय अनुबंध के तहत इसमें 60 प्रतिशत आवासों का आवंटन कॉलेज के स्तर से होना था, बाकी 40 प्रतिशत आवास जिला प्रशासन के अधीन थे। भविष्य में आवंटन की यह प्रक्रिया उलट गई और अधिकांश आवासों का आवंटन जिला प्रशासन के माध्यम से होने लगा। वर्ष 2001 में वेटरनेरी कॉलेज के विश्वविद्यालय में परिवर्तित होने के बाद विवि प्रशासन ने इस पर आपत्ति जाहिर की। इसी दौरान विवि कैंपस में रात्रि विश्राम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विवि कैंपस में जिला प्रशासनिक अफसरों के आवासों को देख हैरानी जताई थी। राज्यपाल की पहल पर शासन ने विवि कैंपस में आवासों का आवंटन जिला प्रशासन से बंद करा दिया। अब यहां सीडीओ, नगर आयुक्त, सीएमओ सहित उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष के आवास हैं। इन अधिकारियों के जाने के बाद नए आने वालों को इनका आवंटन कर दिया जाता है। इनके अलावा डी श्रेणी के 15 से अधिक आवास भी अभी जिला प्रशासन के पास हैं। विवि कैंपस के आवासों का यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। आवासों में रह रहे कर्मचारियों की याचिका पर इस मामले में हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब मांगा है। हालांकि कुलपति प्रो. एके श्रीवास्तव ने बताया कि मामला कोर्ट में है। कैंपस के सभी आवासों पर विवि का अधिकार होना चाहिए। फिलहाल किसी नोटिस की जानकारी नहीं है।
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Author: Vijay Singhal
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