हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। बरसाना में धान की कटाई के बाद खेतों में बिखरी पराली किसानों की चिंता का सबब बनी हुई है। जलाने पर धुआं अंबर को ढक देता है और नहीं जलाने पर खेत में अगली फसल की बुवाई पीछे खिसक जाती है। अब उनकी यह चिंता दूर होने वाली है। माताजी गोशाला परिसर में स्थापित अडानी समूह का बायोगैस प्लांट इस बदलाव की मिसाल बना है। यहां प्रतिदिन लगभग 225 टन पराली का उपयोग किया जा रहा है। आने वाले समय में यह क्षमता 600 टन प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी। इस प्लांट से कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) तैयार की जा रही है, जो वाहनों, उद्योगों और घरों को ऊर्जा देगी। वहीं बचा हुआ अवशेष जैविक खाद के रूप में किसानों के खेतों में लौटेगा। इससे मिट्टी की ताकत बढ़ेगी और महंगे रासायनिक खाद पर खर्च घटेगा। सबसे बड़ी राहत यह है कि अब किसानों को पराली जलाने की विवशता से मुक्ति मिल जाएगी। गांव में इस पहल से रोजगार के नए रास्ते भी खुले हैं। पराली इकट्ठा करने और ढुलाई में युवाओं को काम मिला है। गलियों में अब धुएं की नहीं बल्कि उम्मीद की हवा बह रही है। प्लांट के हेड चेतन ने बताया कि बरसाना प्लांट में पहले चरण में 75 टन पराली और 150 टन गोबर प्रतिदिन डाला जा रहा है। इससे प्रतिदिन लगभग 10 टन सीबीजी और 75 टन जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि संयंत्र तीन चरणों में बनाया जा रहा है। पहला चरण बनकर चालू हो गया है। शेष दो चरणों पर तेजी से कार्य चल रहा है। आने वाले समय में क्षमता 600 टन पराली प्रतिदिन तक पहुंच जाएगी, जिससे उत्पादन भी तीन गुना बढ़ जाएगा। चेतन ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि किसानों की कोई पराली अब खेत में व्यर्थ न जाए। आसपास के गांवों से पराली खरीदी जा रही है ताकि किसानों को स्थायी आमदनी का स्रोत मिल सके।
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Author: Vijay Singhal
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