मुकदमे के ट्रायल के दौरान जगदीश पुत्र खेमचंद की मौत हो गई। कोर्ट ने साक्ष्यों व गवाही के आधार पर जगदीश पुत्र भाव सिंह जाट, भूरा सिंह, हरिप्रसाद, इंद्रजीत सिंह, सुखराम सिंह, प्रेमसिंह व धर्मेन्द्र कुमार सिंह को धर्मवती की हत्या का दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। 6 अभियुक्तों को हत्या के साथ साथ अवैध असलहा रखने का भी दोषी करार देते हुए सभी पर 50-50 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। वहीं सुखराम पर 40 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। एडीजीसी के अनुसार सभी आरोपी जमानत पर थे। सजा सुनाए जाने के बाद अदालत ने सभी को सजाई वारंट जारी किया। पुलिस ने सभी को कोर्ट से ले जाकर जेल में दाखिल किया। एडीजीसी हेमेंद्र भारद्वाज ने बताया कि वादी रनवीर सिंह की मां 2007 में प्रधान थीं। दोषी पक्ष पूर्व प्रधान था। रनवीर की मां शकुंतला के खिलाफ दोषी पक्ष अविश्वास प्रस्ताव ले आया था। इसको लेकर इन दोनों के बीच रंजिश हुई। मुकदमा वादी रनवीर ने घटना वाले दिन का मुकदमे में उल्लेख किया गया है कि उसका भाई देवस्वरूप शौच के लिए जा रहा था। दोषी पक्ष ने उसे अपने घर के सामने घेर लिया और उक्त रास्ते के बजाए दूसरे रास्ते से जाने को कहा। इसी बात पर वहां गहमागहमी हुई और देवस्वरूप अपनी जान बचाकर अपने घर की ओर भागा। पीछे दोषी पक्ष हथियारों से लैस होकर आया और उसके घर आकर अंधाधुंध फायरिंग की। इसमें सात से अधिक लोग घायल हुए थे। धर्मवती की जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई।
एडीजीसी के अनुसार कुल 20 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। इनमें से सात तो पुलिस विवेचक, दो डॉक्टर व तथ्य के गवाह के अलावा अन्य स्वतंत्र गवाह थे। कुछ गवाह पक्षद्रोही हो गए। मगर, अदालत ने 3 कंटस्थ गवाहों की गवाही और साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई है।
