हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। वृंदावन में सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए इस्कॉन-बंगलूरू के पक्ष में फैसला सुनाया। यह निर्णय 25 वर्षों से चल रहे उस विवाद पर पूर्णविराम है, जिसमें इस्कॉन-बंगलूरू और इस्कॉन-मुंबई आमने-सामने थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि श्रील प्रभुपाद ही इस्कॉन के एकमात्र आचार्य हैं। हरे कृष्णा हिल, बंगलूरू स्थित मंदिर इस्कॉन-बंगलूरू की संपत्ति है न कि इस्कॉन-मुंबई की। इस्कॉन-मुंबई को अब इस्कॉन-बंगलूरू के कार्यों में हस्तक्षेप करने से रोका गया है। विदित हो कि 1977 में श्रील प्रभुपाद की महासमाधि के बाद इस्कॉन में कुछ नेताओं ने स्वयं को गुरु घोषित कर दीक्षा देना शुरू किया जबकि श्रील प्रभुपाद ने रित्विक प्रणाली द्वारा दीक्षा देने की व्यवस्था की थी। इस्कॉन-बंगलूरू ने इसी प्रणाली को अपनाया और इसे लेकर संस्थागत टकराव शुरू हुआ। वर्ष 2000 में इस्कॉन-मुंबई द्वारा हरे कृष्णा हिल मंदिर पर दावा करने से विवाद न्यायालय तक पहुंचा जो अब 25 वर्षों बाद इस्कॉन-बंगलूरू की जीत के साथ समाप्त हुआ। इस्कॉन-बंगलूरू और चेयरमैन और अक्षय पात्र फाउंडेशन के अध्यक्ष मधु पंडित दास ने कहा कि यह निर्णय सत्य की विजय है।
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Author: Vijay Singhal
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