हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। वृंदावन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित प्राचीन राधावल्लभ मंदिर के द्वार के समीप छज्जे का पत्थर टूटकर सुबह के समय गिर गया। इससे कई महिला श्रद्धालु बाल-बाल बचे। गनीमत रही कि जिस समय पत्थर गिरा उस समय मंदिर की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं थी। लोगों का कहना है कि संरक्षित लाल पत्थरों से बना प्राचीन मंदिर से पत्थर आए दिन गिरते रहते हैं। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। सुबह के समय मदिर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं का ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में दर्शन और परिक्रमा करने के लिए आने का सिलसिला शुुरू ही हुआ था कि तभी लाल पत्थरा से बना प्राचीन राधावल्लभ मंदिर के द्वार के समीप छज्जे का पत्थर टूट कर परिक्रमा मार्ग में गिर गया। वहां से गुजर रही मुरथल निवासी नीलम और बिन्नी बाल-बाल बची। परिक्रमा करने के दौरान उनके आगे कुछ ही फासले पर पत्थर गिर गया। मंदिर में समाज गायन करने वाले वाले राकेश मुखिया ने बताया प्राचीन मंदिर के छज्जे का पत्थर टूट कर परिक्रमा मार्ग में गिर गया। इससे श्रद्धालु महिलाएं बाल-बाल बची। यहां बड़ा हादसा हो सकता था। इस संरक्षित मंदिर से पत्थर आए दिन गिरते रहते हैं। लेकिन, जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इसका समुचित संरक्षण नहीं किया जा रहा है। फूल बंगला बनाने में रामपाल का कहना है कि प्राचीन मंदिर का संरक्षण कार्य ठीक से न होने के कारण आए दिन मंदिर के पत्थर गिरते रहते हैं। मंदिर की देखभाल करने वालों को इस ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।विदित हो, पूर्व में बांकेबिहारी मंदिर के समीप प्राचीन मकान की मुड़ेर और छज्जा गिरने से पांच श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए पत्थर गिरने की घटना को जिम्मेदार अफसरों को गंभीरता से लेना चाहिए। ठाकुर राधावल्लभ मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी के अनुसार नगर के प्राचीन देवालयों में से एक प्राचीन ठाकुर राधावल्लभ मंदिर का निर्माण मुगल शासक अकबर के खजानची अब्दुल रहीम खानखाना के दीवान सुंदरदास भटनागर ने पांच सौ पूर्व संवत 1564 में कराया था। जो कि लाल बलुआ पत्थरों से बना है। वर्तमान में इस प्राचीन धरोहर का संरक्षण का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास है। भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षक सहायक मुदस्सर अली ने बताया प्राचीन ठाकुर राधावल्लभ मंदिर का जहां से भी पत्थर गिरा हैं, उसका भी सर्वे कराकर जल्द ही संरक्षण का कार्य किया जाएगा।
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Author: Vijay Singhal
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