हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। सुरक्षा-शान की खातिर खरीदे जाने वाले हथियार और कारतूस नियमों की पेचीदगी में फंसकर रह गए हैं। यही वजह है कि इस कारोबार पर लगातार संकट गहरा रहा है। हाल यह है कि कान्हा की नगरी में लाइसेंसी शस्त्र विक्रेता दूसरा कारोबार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। पिछले एक साल से शस्त्र लाइसेंस न बनने से 40 से अधिक फाइलें नियमों में अटकी हुईं हैं। दूसरी ओर जिले में 7 लाइसेंसी शस्त्र विक्रेता हैं, जिनमें से एक विक्रेता प्रशासन के समक्ष लाइसेंस सरेंडर करने की कतार खड़े हैं। यह गन हाउस सिर्फ कागजों में चल रहा है। शस्त्र कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो एक दुकान पर तीन से चार लोगों को काम मिलता है। शस्त्रों के नए लाइसेंस न जारी होने और कारतूस की बिक्री में नियमों की पेचीदगी आने से ये कारोबार लगातार मंदा हो रहा है। इस काण दुकानदारों ने काम करने वाले कर्मियों की संख्या भी घटा दी। इस कारोबार से दूरी बना रहे अधिकांश शस्त्र लाइसेंसधारक दूसरे कारोबार की ओर रुख कर रहे हैं। जिले भर में 7 शस्त्रों की दुकानें हैं। शहर में 6 दुकानें हैं। इनमें से दो होलीगेट, एक महिला थाने के सामने व अन्य स्थानों पर और एक छाता में है। छाता वाले शस्त्र विक्रेता शस्त्र लाइसेंस सरेंडर करने कतार में हैं। ऐसा सा ही हाल शहर के विक्रेताओं का है।लाइसेंस सरेंडर करने पर विचार कर रहे हैं। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शस्त्र लाइसेंसों के मामले में जिला प्रशासन ने सख्ती बरत ली है। पिछले एक साल में एक भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ है। शस्त्र लाइसेंस के लिए करीब 4 हजार से अधिक आवेदन फाइलों में हैं। 40 से अधिक फाइलें स्वीकृति के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में रखीं है। ये फाइलें हथियार और कारतूस नियमों की पेचीदगी में अटकी हैं। इनमें ज्यादातर आवेदन राइफल और पिस्टल के हैं। शस्त्र कारोबारी बताते हैं कि इस कारोबार में कुछ धंधा शस्त्र किराउ पर रखने पर भी होता था। मगर अब उसे रखना भी मुश्किल होता है। इसके पीछे की वजह है कि लोग शस्त्र रखकर भूल जाते हैं, लेने तक नहीं आते। 5-5 वर्ष पुराने शस्त्र दुकानों में रखे हैं। शस्त्र कारोबारी बताते हैं कि इस कारोबार में कुछ धंधा शस्त्र किराउ पर रखने पर भी होता था। मगर अब उसे रखना भी मुश्किल होता है। इसके पीछे की वजह है कि लोग शस्त्र रखकर भूल जाते हैं, लेने तक नहीं आते। 5-5 वर्ष पुराने शस्त्र दुकानों में रखे हैं।
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Author: Vijay Singhal
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