हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। भीषण पड़ रही ठंड से जनजीवन अस्तव्यस्त है। तापमान में आ रही गिरावट और धूप न निकलने का असर आलू की फसल पर दिखाई देने लगा है। आलू के पौधों की पत्तियां पाले के कारण सूखने लगी हैं। जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा। कोहरा और पाला सिर्फ गेहूं की फसल के लिए ही फायदेमंद है, जबकि आलू और सरसों व मटर के लिए नुकसानदायक है। जिले में इस बार आलू की फसल 18 हजार हेक्टेयर में की गई है। चार दिनों से सर्दी कड़ाके की पड़ रही है, अचानक बदलाव से दिन में धूप भी सही नहीं निकल रही है। आसमान में बादल और धुंध छाई रहती है। साथ ही पाला भी गिरने लगा है। पाला गिरने से तापमान में भी गिरावट हो रही है। तापमान में गिरावट और पाला का सीधा असर आलू, सरसों और मटर की फसल पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि आलू की फसल में तो झुलसा रोग लगने लगा है। आलू के पौधा की पत्तियां सूखने लगी हैं और अंडाकार मुड़ने लगी हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाॅ. रविंद्र राजपूत ने बताया कि तापमान में गिरावट और पाला रबी फसलों में सिर्फ गेहूं के लिए ही लाभकारी है। गेहूं की पौध में ग्रोथ आएगी और पैदावार भी बढ़ने की संभावना है। आलू, मटर, टमाटर और सरसों की पैदावार इससे प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि अब मौसम चक्र में बदलाव दिखाई दे रहा है। आलू की फसल में झुलसा रोग लगने लगा है। यह रोग आल्टर्नेरिया सोलेनाई फंगस से होता है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों में कम-कम पानी लगाएं, जिससे आलू को नुकसान नहीं हो। कृषि वैज्ञानिक डॉ. वाईके शर्मा ने बताया कि आलू की फसल में पछेती झुलसा नामक रोग लग रहा है। रोग में पौधों की पत्तियां किनारे से ऊपर की तरफ हल्की सी मुड़ने लगती हैं और किनारे से सूखने लगती हैं। रोकथाम करने के लिए किसानों को फसल पर दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कैप्टन 79 प्रतिशत और हेक्साकॉनजोल 5 प्रतिशत को 1 से 2 ग्राम लेकर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं कार्बेंडाइजम 12 प्रतिशत और मैनकोजेब 63 प्रतिशत को मिलाकर 2 से 3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी, मेटालैक्साइल 8 प्रतिशत और मैनकोजेब 64 प्रतिशत को मिलाकर 2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर झुलसा रोग में किसानों को छिड़काव करना चाहिए।
7455095736

Author: Vijay Singhal
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