हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। वृंदावन में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बिगड़े बोल का मामला ठंडा नहीं पड़ा था कि महामंडलेश्वर इंद्रदेवेश्वरानंद विवादों में घिर गए। उनका एक फोटो शनिवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें सिंहासन पर बैठे इंद्रदेवेश्वरानंद के दोनों पैरों पर लाल रंग के स्वास्तिक चिह्न बने हुए हैं। यह देखकर लोगों में आक्रोश फैल गया। मामला तूल पकड़ता देखकर इंद्रदेवेश्वरानंद ने पूरे मामले में स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि कथा के दौरान एक भक्त ने पैरों में स्वास्तिक बना दिए थे। जैसे ही उस भक्त के द्वारा किये गए इस कार्य का उन्हें जानकारी हुई तो तुरंत ही उसे शुभ कार्यों में प्रयोग होने वाले स्वास्तिक का महत्व बताया। उससे ऐसा न करने की बात भी कही थी। उस भक्त को सख्त हिदायत दी कि आगे से ऐसा गलत कार्य न करें। स्वास्तिक भगवान श्री गणेश जी का प्रतीक है। इसका उपयोग शुभ कार्यों को प्रारंभ करने से पहले किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा हिंदू धर्म के देवी देवताओं का सम्मान किया जाता है और सभी देवी देवता पूजनीय हैं। यद्यपि अगर किसी की भावना इस प्रकरण से ठेस हुई हो तो में सभी से हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरी प्रार्थना है कि वह मुझे क्षमा करें आगे से मैं इन बातों का ध्यान रखूंगा। बृज ब्राह्मण महासंघ के संस्थापक चंद्र नारायण शर्मा चीनू ने कहा कि स्वास्तिक भारतीय संस्कृति, धर्म और सभ्यता में पूजनीय स्थान रखता है। उसका इस तरह किसी एक व्यक्ति के चरणों पर बनाए जाना भारतीय संस्कृति और धर्म का अपमान है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मेघश्याम गौतम ने कहा कि हर दिन विद्वान भागवताचार्य वृंदावन की धार्मिक छवि को खराब करने में लगे हैं। न इन्हें अपनी भाषा पर नियंत्रण है और न ही अपने चाल चलन पर । पैरों में स्वास्तिक बनाने का क्या मकसद हो सकता है। यह तो उन्हें ही पता होगा लेकिन यह धर्म और भारतीय संस्कृति के साथ खिलवाड़ है। श्री कृष्ण सेना के संस्थापक संजीव सिंह बाबा ने कहा कि भागवताचार्य ने अपने पैरों में स्वास्तिक बनाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।उत्तर प्रदेश युवा ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राजेश पाठक ने बताया कि हर शुभ मांगलिक कार्य के शुभारंभ पर हिंदू संस्कृति में स्वास्तिक चिह्न बनाए जाने की प्राचीन परंपरा रही है। भागवताचार्य के चरण पर यह चिह्न बनाना भारतीय संस्कृति और भक्ति परंपरा का अपमान है, जिसे सहन नहीं किया जाएगा।
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Author: Vijay Singhal
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