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एक ऐसा संत, जिसने पूरी दुनिया को दिया हरे कृष्णा का मंत्र

ByVijay Singhal

Oct 25, 2025
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हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। श्रील प्रभुपाद, गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के ऐसे संत जिनका नाम दुनिया धर्म में सनातन धर्म की ध्वजा को स्थापित करने के लिए लिया जाता है। उन्होंने 14 बार विश्व भ्रमण कर दुनिया भर में 800 इस्कान मंदिर स्थापित किये। उनके हरे कृष्णा अभियान ने विदेशियों को सनातन संस्कृति से जोड़ा। उनके कदम जहां-जहां पड़े, वहां-वहां हरेरामा-हरेकृष्णा मंत्र गुंजायमान हो उठा। अभय चरण डे यानी अभय चरणाविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को श्रील प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म कोलकाता में सितंबर 1896 में हुआ। उन्होंने 1959 में सन्यास लिया और वृंदावन में रहकर श्रीमदभागवत पुराण का अनेक खंड़ों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। उन्होंने न्यूयार्क में इंटरनेशनल सोसाइटी फार कृष्णा कान्शियसनेस (इस्कान) की स्थापना की। 1966 से 1977 तक विश्वभर का 14 बार भ्रमण किया। इस्कान की प्रबंध समिति की सदस्य व सचिव रहीं यूएसए निवासी देवी शक्ति माताजी कहती हैं उनकी श्रील प्रभुपाद से उनकी यूएसए में 1970 में मुलाकात हुई। उनकी जीवन शैली और प्रवचन का जीवन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि 18 वर्ष की आयु में भी प्रभुपाद से प्रभावित होकर दीक्षा ले ली। श्रील प्रभुपाद ने उन्हें हरेकृष्णा मूवमेंट से जोड़ लिया और प्रचार-प्रसार में साथ देने लगीं। इसके बाद 1974 में 22 वर्ष की आयु में अपने पति के साथ वृंदावन आ गईं। यहां 1975 में इस्कान मंदिर की स्थापना हुई तो वे खुद मौजूद रहीं। देवी शक्ति माताजी ने कहा न्यूयार्क में श्रील प्रभुपाद के अनुयायी जुड़ते गए, तो सबसे पहला इस्कान मंदिर न्यूयार्क में स्थापित किया। इसके बाद कैलोफोर्निया, सेंट फ्रांसिस्को, अमेरिका में तीस मंदिर बने, लंदन, हाबर्ट, पेरिस, आस्ट्रेलिया में इस्कान मंदिरों की बड़ी शृंखला तैयार हो गई।
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Vijay Singhal
Author: Vijay Singhal

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