हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। पंचोत्सव में सबसे ज्यादा चांदी की खरीद धनतेरस पर की जाती है, लेकिन इस बार दीपोत्सव से एक सप्ताह पहले ही बाजार से चांदी लगभग गायब हो गई है। चांदी के दाम 1 लाख 72 हजार पर जा पहुंचे हैं, लेकिन इस दाम में भी चांदी बाजार में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इससे चांदी कारोबारियों के चेहरे पर शिकन है। उनका कहना है कि चांदी डिमांड के मुताबिक नहीं आ पा रही है। दिवाली के त्योहार से पहले ही चांदी सोने पर भारी पड़ने लगी है। हालात यह हैं कि चांदी खरीदने के लिए लोग जेब में पैसा लेकर पहुंच रहे हैं मगर कारोबारी हाथ खड़े कर रहे हैं। वह डिलीवरी देने के लिए हफ्ते-10 दिन का समय मांग रहे हैं, लेकिन अस्थिर दामों के कारण चांदी बेचने में भी हाथ पीछे खींच रहे हैं। आलम यह है कि स्टॉक को भी बाहर नहीं निकाला जा रहा है। ऐसे में जबकि धनतेरस पर सबसे ज्यादा चांदी की खरीदारी की जाती है। लोग चांदी के बर्तन, लक्ष्मी-गणेश और सिक्के व डॉलर की बड़े पैमाने पर खरीदारी करते हैं। उपहार में भी चांदी के सिक्के व डॉलर देने का चलन है। ऐसे में लोग अब चांदी के सिक्के और डॉलर देने से कतरा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर इसके दाम 1.48 लाख रुपये चल रहा है।
व्यापारी इसके पीछे चांदी का आयात कम होना भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की नई नीति के कारण भी चांदी का आयात कम हो गया है। आपूर्ति के कम होने के कारण ही चांदी को व्यापारी कम ही बेच पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, बड़े निवेशक भी अब चांदी की खरीद कर रहे हैं। ऐसे में आम व्यापारी को चांदी ही नहीं मिल पा रही है। बाजार में भारी ऊहापोह का आलम चल रहा है। बड़े शोरूमों पर चांदी के जेवरात खरीदने वालों की तादाद भी बढ़ गई है। सराफा कमेटी के सदस्य राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि चांदी का आयात कम होने के कारण बाजार में चांदी की आवक कम हो गई है। दामों में भी बहुत उतार-चढ़ाव चल रहा है। मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने के कारण बाजार में चांदी की कमी हो गई है। यह हालात दिवाली के बाद तक चल सकते हैं। वहीं सराफा कारोबारी आशीष अग्रवाल बताते हैं कि चांदी के दाम लगातार बढ़ने के बाद भी इसकी मांग में कमी नहीं आना भी चांदी के बाजार से गायब होने का एक कारण है। जिस तरह से दाम बढ़ रहे हैं और खरीद बढ़ रही है, उससे लगता है कि आने वाले समय में चांदी के दाम दो लाख रुपये प्रति किलो से ज्यादा पहुंच सकते हैं। यही कारण है कि बाजार में जिनके पास ज्यादा चांदी है, वह बेचने में कम दिलचस्पी ले रहे हैं।
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