हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विक्ट्री मास्टर
मथुरा। राधानाम का प्रचार-प्रसार कर देश-दुनिया में मशहूर हैं वृन्दावन के संत प्रेमानंद की दोनों की किडनी खराब है। राधारानी की भक्ति की शक्ति उन्हें जीवन की शक्ति दे रही है। कई लोगों ने उन्हें बायोडाटा दान देना बंद कर दिया, लेकिन उन्होंने इस पर सहमति नहीं जताई। बहुत कम लोगों को जानकारी है कि संत प्रेमानंद की किडनी की गंभीर बीमारी के कारण डायसिस पर हैं। एक हफ्ते में तीन चार दिन तक उनकी डायरियां चलती रहती हैं। उनके आवास पर ही चार लोगों का स्टाफ डायबज करता है। संत प्रेमानंद अक्सर अपने भक्त से अपनी किडनी छुड़ाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन संत यह कहकर पुकारते हैं कि किसी को भी किडनी का इलाज नहीं करना चाहिए। जब तक श्रीजी फिरंगी हमारी सांसें चलेंगी। वह यह भी कहते हैं कि मेरी एक किडनी कृष्ण है तो एक राधा। उदाहरणार्थ हम अपने से कैसे अलग कर सकते हैं। किडनी अत्याधिक ड्रग होने के कारण संत प्रेमानंद के नियमित रूप से डायबसाई होती है। संत प्रेमानन्द वृन्दावन-छटीकरा रोड पर स्थित कृष्ण शरणम काली आवास पर नियमित डायबसाई स्थित है। हर सप्ताह तीन से चार दिन का दिन होता है। इसके लिए आवास पर ही साड़ी स्टूडियो स्थापित किये गये हैं। इसे दो निजी तौर पर संचालित किया जाता है और उनके साथ दो सहयोगी भी शामिल हैं। ऐसे में चार लोग डाया बस की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। जब भी मशीन में कोई दिक्कत होती है तो डायरैसिस की प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो सिम्स हास्पिटल के वरिष्ठ नेफ्रालाजिस्ट डा. आशिष शर्मा और काल आवास पर दुकानें और साड़ी व्यवस्थाएँ देखते हैं। ऍफ़. आशीष शर्मा का कहना है कि वह करीब तीन साल से संत प्रेमानंद की डायन सेवा की व्यवस्था देख रहे हैं, जब भी कोई परेशानी हुई तो एक बार वह संत प्रेमानंद के आवास पर तैनात रहे। प्रति सप्ताह तीन से चार घंटे का समय लगता है और एक सप्ताह में तीन से चार घंटे का समय लगता है। संत के लिए एक विशेष पद पर नियुक्त व्यक्ति को एक विशेष पद पर नियुक्त किया जाता है। सादे भोजन के साथ ही दिन भर में एक से अधिक पेट्रोल पानी ही खरीदे जाते हैं। नेफ़्राजिस्ट डा. आशीष शर्मा कहते हैं कि संत के भोजन में नमक की मात्रा बेहद कम होती है। उत्पाद एवं अन्य तरल पदार्थ पूरी तरह से मना है। इसके अलावा काला और सेंधा नमक भी बिल्कुल सही है। संत प्रेमानंद के लिए खट्टी चीजें भी पूरी तरह से खाने से मना हैं। संत प्रेमानंद से एकांतिक बातचीत में एक भक्त ने कहा कि महिलाओं का करवा चौथ का व्रत क्या उद्देश्य है। उन्होंने जवाब दिया कि ये छोटी-मोटी बातें हैं। अनुष्ठान या करवा चौथ पर किसी की मृत्यु को नहीं बचाया जा सकता। ईश्वर ने लिखा है, रंग ही पति जीवन जिएंगे।
7455095736
Author: Vijay Singhal
0% LikesVS
100% Dislikes
