हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। वृंदावन में मीरा जी मंदिर न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह उस प्रेम, समर्पण और भक्ति की प्रतीकस्थली है जो मीराबाई ने अपने आराध्य श्रीकृष्ण गिरधर गोपाल के प्रति दर्शाया। 500 वर्ष पूर्व मीराबाई ने इस स्थान पर 15 वर्षों तक निवास कर संसार की सीमाओं को लांघते हुए अपने आराध्य से एकात्मता का अनुभव किया। मीराजी का प्रेम सांसारिक बंधनों से मुक्त था। उनकी भक्ति की आज भी लोग चर्चाएं करते हैं। उनके प्रेम ने वृंदावन में आराध्य के प्रति अनूठी भक्ति को जाग्रत किया था। मीराबाई का कृष्ण से प्रेम एक साधारण भक्त और भगवान का संबंध नहीं था, बल्कि यह वह पवित्र रिश्ता था जिसमें मीरा ने स्वयं को कृष्ण की दासी, प्रेयसी और पत्नी माना। उन्होंने कहा था मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरा ना कोई। यह वाक्य आज भी मंदिर की दीवारों पर नहीं, श्रद्धालुओं के हृदय में अंकित है। मीरा जी की प्रेम शक्ति को दर्शाती है उनकी कुटिया मंदिर में आज भी वह कुटिया सुरक्षित है, जहां मीरा प्रतिदिन श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने बैठकर भजन करती थीं। यह स्थान साधना की शक्ति, नारी भक्ति की स्वतंत्रता और ईश्वर के प्रति निष्ठा का अद्भुत उदाहरण है। शरद पूर्णिमा के दिन मंदिर में मीराबाई का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन वृंदावन में भक्ति की बयार बहती है और संपूर्ण वातावरण पायो जी मैंने राम रतन धन पायो जैसे भजनों से गूंज उठता है।
मंदिर के सेवायत रुद्रप्रताप सिंह ने बताया कि मंदिर में एक फुव्वारा है। इसकी भी खासियत है। यहां पानी की धारा पर बॉल स्वत ही नाचने लगती है। यह आज भी भक्तों के लिए रहस्य और श्रद्धा का विषय बना हुआ है।
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Author: Vijay Singhal
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