निराश्रित बच्चों को दी वात्सल्य की छांव, पढ़-लिखकर बने अफसर वर्ष 1990 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को गति देने वालीं साध्वी ऋतंभरा ने अपने यादगार भाषणों के बल पर आंदोलन से 50 हजार से अधिक हिंदू महिलाओं को कार सेवा में जोड़ने का कार्य किया। उन्होंने जातिगत भेदभाव में बंटे हिंदू को एकजुट करने का कार्य किया। लुधियाना के गांव दौराहा में जन्मी साध्वी ऋतंभरा ने 13 वर्ष की अवस्था में आध्यात्म जगत में प्रवेश किया। 16 साल की अवस्था में हिंदू पुनरुत्थान के लिए कार्य कर रहे उनके गुरु युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज के प्रभाव में दीक्षा ली। उसके बाद उन्होंने हिंदू जनजागृति की अलख जगाई। इसके अलावा उन्होंने देश-विदेश में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से धर्म का प्रचार प्रसार कर लोगों को आध्यात्म से जोड़ने का कार्य किया। वृंदावन में उन्होंने ऐसे बच्चे जिनकी मां उन्हें सामाजिक लोकलाज के कारण त्याग देतीं उन बच्चों के लिए 2020 में वात्सल्य ग्राम की स्थापना की और उन्हें भाव संबंध के मां, पिता और परिवार की छांव के साथ शिक्षा एवं दीक्षा दी। वात्सल्य ग्राम में पढ़े बच्चे न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मीडिया प्रभारी उमाशंकर राही ने बताया कि साध्वी ऋतंभरा ने राजस्थान में बाढमेर,