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मैं जो कुछ भी हूं, सत्यार्थ प्रकाश व महर्षि दयानंद की वजह से हूं : स्वामी रामदेव

ByVijay Singhal

Jul 24, 2024
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हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि वह लगभग 33 वर्ष पहले वेद मंदिर में महाभाष्य पढ़ने के लिए आए थे। आज वे जो कुछ भी हैं सत्यार्थ प्रकाश और महर्षि दयानंद की बदौलत हैं।
यह बात उन्होंने मसानी चौराहे पर स्थित गुरु विरजानंद आर्य गुरुकुल वेद मंदिर में आर्य जगत के लेखक आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज की जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि आचार्य प्रेम भिक्षु का जीवन तपस्वी व त्यागमयी था। युवा पीढ़ी को उनकी विचारधारा से प्रेरणा लेनी चाहिए। आचरण की पवित्रता ही सबसे बड़ा धर्म है। महर्षि दयानंद का अनुयायी होने की यह पहली शर्त भी है। कर्म में आचरण की पवित्रता नहीं है तो नाम जप का कोई फायदा नहीं होता है।

सबसे बड़ी पूजा अग्निहोत्र या हवन है। सभी को दैनिक या साप्ताहिक हवन अवश्य करना चाहिए। वेद मंदिर के अधिष्ठाता आचार्य स्वदेश ने स्वामी रामदेव का अभिनंदन किया। इसके बाद आचार्य प्रेमभिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्वामी रामदेव को सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक भेंट की गई और आर्यवीर दल के कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आचार्य महिपाल, स्वामी इंद्रेश्वरानंद, आचार्य नरेंद्रानंद, आचार्य सत्यप्रिय आर्य, विधायक राजेश चौधरी, प्रवीन अग्रवाल, वीरेंद्र अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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Vijay Singhal
Author: Vijay Singhal

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