हिदुस्तान 24 टीवी न्यूज चीफ विजय सिंघल
मथुरा के प्रसिद्ध कंस वध मेला की शुरुआत रविवार से हो गया। इस मेला की शुरुआत कंस के हाथी वध लीला से होगी। द्वापर में भगवान कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम जी ने कंस का वध करने से पहले कुवलिया पीड हाथी का वध किया था। मथुरा में आज भी कुवलिया पीड हाथी के वध की लीला का परंपरा अनुसार मंचन किया जाता है। द्वापर में कंस के पास दस हजार हाथियों की शक्ति रखने वाला कुवलिया पीड हाथी था। यह हाथी कंस को जरासंध ने उपहार स्वरूप दिया था। क्योंकि जरासंध और कंस दोनों के दुश्मन भगवान श्री कृष्ण थे। इस बलशाली हाथी के जरिए कंस ने अपनी प्रजा पर अत्याचार और अधिक करना शुरू कर दिया। कंस कुवलिया पीड हाथी को अपना सबसे प्रिय हाथी मानता था। द्वापर में कंस ने अक्रूर जी को भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी को मथुरा बुलाने के लिए भेजा। कंस के कहने पर अक्रूर जी भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी को मथुरा ले कर आने लगे। इसी दौरान कंस ने रास्ते में अपने सबसे प्रिय कुवलिया पीड हाथी को सैनिकों के साथ खड़ा कर दिया। कृष्ण,बलराम जब मथुरा में प्रवेश करने लगे तो कंस के कहे अनुसार सैनिकों ने कहा पहले हाथी से युद्ध करो उसके बाद प्रवेश करना। कृष्ण बलराम ने हाथी के दोनों दांत पकड़े और उसे जमीन पर पटक कर वध कर दिया। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के दो नंबर गेट के पास पत्थर का कुवलिया पीड हाथी बना हुआ है। यह पत्थर का हाथी उसी तरह का बना हुआ है जैसे भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने उसका वध करते समय जमीन पर पटका था। श्री कृष्ण जन्मस्थान के गेट संख्या 2 के समीप बने इस हाथी की पत्थर की मूर्ति की साफ सफाई और रंगाई की जा रही है। रविवार को शुरू होने जा रहे 5 दिवसीय कंस वध मेला के पहले दिन कुवलिया पीड हाथी वध महोत्सव समिति द्वारा शोभायात्रा निकाली जायेगी। मथुरा के स्वामी घाट से शुरू होने वाली इस शोभायात्रा में कृष्ण और बलराम के स्वरूप घोड़ों पर सवार हो कर निकलेंगे। इसके अलावा करीब 1 दर्जन झांकियां भी रहेंगी। शोभायात्रा के साथ ब्रजवासी हाथों में लाठी,डंडे और फरसा लेकर कुवलिया पीढ़ हाथी को ललकारते हुए चलेंगे। कुवलिया पीड हाथी वध महोत्सव समिति द्वारा 10 फीट ऊंचा कुवलिया पीड हाथी का पुतला बनाया जायेगा। यह पुतला शोभायात्रा के साथ श्री कृष्ण जन्मस्थान के गेट संख्या 2 के समीप उसी स्थान पर लाया जाएगा जहां पत्थर का कुवलिया पीढ़ हाथी बना हुआ है। वहां उस पुतले को ब्रजवासी लाठी डंडों से पीटेंगे। इसके बाद केशव देव मंदिर पर भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी के स्वरूप की आरती की जायेगी। कंस वध मेला के पहले दिन कुवलिया पीड हाथी का वध होगा तो अगले दिन रजक वध लीला होगी। अष्टमी,नवमी को गौ चारण लीला का आयोजन किया जाएगा। दशमी को शहर के हृदय स्थल होली गेट पर कंस के विशालकाय पुतले को लाठी डंडों से पीटा जायेगा।
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Author: Vijay Singhal
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